सामने आने से रह गए, जो रियल लाइफ हीरो,

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आपदा के दौरान पर्दे के पीछे छिपी रह गयी जाबांजो की कहानी।

गिरीश गैरोला

सोमवार 16 जुलाई को यमनोत्री धाम में आयी  आपदा का मौका मुआयना कर लौट  रहे उत्तरकाशी डीएम और एसपी को ओजरी – डाबरकोट में नया जीवन देने वाले रियल हीरो को इतनी जल्दी पर्दे के पीछे धकेल देना कतई न्यायोचित नही होगा।

 यमनोत्री धाम से लौट रहे डीएम और एसपी के बाल- बाल बचने की खबर तो सबने सुनी पर ये सच बाहर नही  निकल सका कि इन्हें जीवन दान आखिर किसने और कैसे दिया?
अब जब दुर्घटनाग्रस्त गाड़ी की तस्वीर वायरल हुई लोगो में यही चर्चा होने लगी कि  इस गाड़ी के सवार अफसर अखिड जिंदा बचे तो कैसे?
आईये आपको आंखों देखी पूरी कहानी सुनाते है जो हमे उस सख्स ने बयां की है जो मौके पर सड़क के इस तरफ़ मौजूद था। इस सख्स का नाम आनंद है ओर यह उस वक्त मौके पर ही मोजूद था।
स्यंना चट्टी की तरफ से बडकोट की तरफ मशीन से सड़क पर मलवा साफ करने के बाद करीब 15 मिनट तक पहाड़ी पर नजर रखी गयी और कोई पत्थर न गिरने के बाद एसओ बडकोट की गाड़ी में सवार डीएम आशीष चौहान , एसपी ददन पाल और थाना बडकोट प्रभारी विनोद थपलियाल और चालक ममलेश के सरकारी वाहन को इस तरफ आने का संकेत दिया गया। डेंजर ज़ोन का करीब 100 मीटर हिस्सा पास हुआ कि तभी गाड़ी के आगे से एक बड़ा बोल्डर गिरा जिससे गाड़ी की लाइट टूट गयी, चालक ने एक छण के लिए ब्रेक लगाई , इससे पहले वो कुछ निर्णय लेता एक और बोल्डर गाड़ी के पीछे गिरा। अब न तो गाड़ी को आगे बढ़ा सकते थे और न पीछे ।
फिर चालक ममलेश ने दाई तरफ से गाड़ी निकलने का प्रयास किया  थोड़ी दूर चले थे कि एक और बोल्डर गाड़ी की छत पर गिरा जिससे गाड़ी दबी और उसमे बैठे लोगों के सर में हल्की चोट लगी चालक ने धैर्य बनाये रखा और गाड़ी धीरे धीरे आगे बढ़ाता रहा । किन्तु पहाड़ी से गिरने वाले पत्थरो की तादाद रुकने की बजाय बढ़ने लगी।   इस बीच एक और बड़ा बोल्डर गाड़ी के बोनट पर गिरा और गाड़ी का इंजिन बंद हो गया। अब गाड़ी से बाहर निकल कर पैदल भाग कर जान बचाने के सिवा कोई चारा नही था । इस बीच सबसे पहले डीएम आशीष गाड़ी से उतरे और तेजी से रेस लगा कर दूसरे छोर पर पहुँच गए। इधर चालक ममलेश और थाना प्रभारी बड़कोट विनोद भी गाड़ी से उतर कर जान बचाने के लिए दौड़ने लगे। इस बीच इन्होंने देखा कि सर पर चोट लगने के चलते कप्तान ददन पाल गाड़ी से बाहर ही नही निकल सके। एक तरफ ऊपर पहाड़ी से सरकती मौत और दूसरी तरफ पत्थरो की बरसात के बीच पुलिस अफसर , कोई भी निर्णय लेने का समय भी ज्यादा नही था। त्वरित निर्णय लेते हुए एसओ विनोद थपलियाल ने चालक ममलेश की मदद से  कप्तान को गाड़ी से  बाहर निकाला और धीरे धीरे पत्थरो के बीच आगे बढ़े इस बीच गिरते पत्थरो की बरसात के बीच कप्तान समेत तीनो  लोग कई बार लड़खड़ा कर गिरे पर उन्होंने  हिम्मत नही हारी और किसी तरह गिरते पड़ते इस किनारे पहुच गए।
बडकोट में प्राथमिक उपचार के दौरान डीएम आशीष चौहान ने पुलिस के विनोद थपलियाल और चालक ममलेश की खूब तारीफ की। दरअसल पहाड़ी से पत्थर गिर कर गाड़ी पर लगने के बाद गाड़ी का संतुलन भी बिगड़ सकता था और गाड़ी खाई में भी जा सकती थी उसके बाद जिस धैर्य के साथ मौके पर घायल पुलिस कप्तान को खतरनाक इलाके से सुरक्षित निकाल लाये उसके लिए कलेजे में बड़ा जिगरा चाहिए ।
अगर यह कहानी यू ही दब जाती और बाहर नही निकलती तो ये प्रेरक प्रसंग हम और आप नही सुन रहे होते और न ही इस तरह की घटना पर कोई अन्य लोग  प्रेरणा ले सकते थे।
घटना के बाद जिला अस्पताल उत्तरकाशी में दोनों अधिकारियों का सीटी स्कैन किया गया जिनका  आगे उपचार चल रहा है।
इस संबंध में पुलिस कप्तान ददन पाल ने स्वीकार किया  कि उन्हें घायल अवस्था मे पुलिस के दोनों जवान उठाकर इस तरफ न लाते तो सायद वे आज पत्रकारों के सवाल का जबाब देने के लिए मौजूद न होते उन्होंने कहा कि ऐसे मोके पर जब हर कोई अपने प्राणों की रक्षा के लिए भागने में ही भलाई समझता है उन्होंने अपनी जान जोखिम में डालकर कप्तान की जान बचाई है जिसके  बाद उन्हें पुनर्जीवन मिला है।
पुलिस के इन दोनों जवानों की बहादुरी के लिए दिल से सैलूट।
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