बद्रीनाथ के कपाट बंद – देवर्षि नारद के जिम्मे अब धाम की पूजा।

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सेना के बैंड की मधुर ध्वनि के साथ बद्रीनाथ धाम के कपाट बंद हो गए इसके साथ ही उत्तराखंड में चार धाम यात्रा पर विराम लग गया है।

गिरीश गैरोला

श्री बदरीनाथ धाम के कपाट रविवार को शांयकाल 5 बजकर 13 मिनट पर शीतकाल के लिए बंद कर दिए गए है । इस अवसर श्री बद्रीनाथ मंदिर को भब्य रुप से फूलों से सजाया गया था।
श्री बद्रीनाथ धाम के कपाट बंद होने की प्रक्रिया के अंतर्गत पंच पूजायें 13 नवंबर से शुरू हो गयी थी। बीते दिन सांय को रावल ईश्वरी प्रसाद नंबूदरी द्वारा भगवान बद्रीविशाल को भोग लगाने के पश्चात पूजा-अर्चना कर मां लक्ष्मी को न्यौता दिया ।


आज प्रात:काल भगवान का श्रृंगार एवं रावल जी द्वारा सखी के रूप मे स्त्री भेष धारण कर लक्ष्मी मंदिर से मां लक्ष्मी को भगवान बद्रीविशाल के सानिध्य में गर्भ गृह मे विराजमान करने तथा कुबेर व उधव भगवान को गर्भ गृह से बाहर लाया गया । अपराह्न पश्चात भगवान बद्रीविशाल को घृतकंबल ओढ़ने सहित रावल जी द्वारा कपाट बंद करने की प्रक्रिया के साथ शांय 5 बजकर 13 मिनट पर भगवान बदरीनाथ भगवान के कपाट शीतकाल के लिए बंद कर दिये गए।
18 नवंबर श्री उद्धव जी एवं श्री कुबेर जी का पांडुकेश्वर तथा आदि गुरू शंकराचार्य जी की गद्दी का नृसिंह मंदिर हेतु प्रस्थान एवं रात्रि विश्राम योग-ध्यान बदरी पांडुकेश्वर में होगा।

19 नवंबर आदि गुरू शंकराचार्य जी की गद्दी के साथ रावल जी का पांडुकेश्वर से नृसिंह मंदिर जोशीमठ आगमन होगा।
इस अवसर श्री बदरीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति के अध्यक्ष मोहन प्रसाद थपलियाल, रावल ईश्वरी प्रसाद नंबूदरी, मुख्य कार्याधिकारी बी.डी.सिंह, धर्माधिकारी भुवन चंद्र उनियाल,गणमान्य सहित सेना,प्रशासन के अधिकारी मौजूद थे l

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