उत्तराखंड के पर्वतीय क्षेत्रों में नैट सुविधा न होने से ऑनलाइन पढ़ाई में बाधा । अधिकतर विद्यार्थी पढ़ाई से वंचित
चौखुटिया: कोरोना महामारी के चलते पूरा देश लॉकडाउन के दौरान राज्य के शिक्षा बोर्ड ने ऑनलाइन गृहकार्य देना शुरू कर दिया है। लेकिन क्षेत्र के नवाण छिताड गांव में नैट सुविधा न होने के कारण 6 गांवों के अधिकाशं विद्यार्थी ऑनलाइन पढ़ाई से वंचित रह गए हैं। अध्यापकों द्वारा विद्यार्थियों को अप्रैल तथा मई महीने का सिलेबस ऑनलाइन मुहैया करवानेे के साथ पाठ्यक्रम की आडियो-वीडियो तैयार करके विद्यार्थियों के पास सोशल मीडिया के जरिए भेजी जा रही है मगर नैट सुविधा के लिए नवाण वालों को गांवों से लगभग पांच किलोमीटऱ का रास्ता पैदल तय करना पड़ता है । जिस कारण विद्यार्थियों के समय काफी नुकसान हो रहा है । कई विद्यार्थियों ने बताया कि आर्थिक रूप से कमजोर होने कारण उनके पास एंड्रॉयड फोन नहीं है। फिर भी वे आस पास से व्यवस्था करते हैं ।
बच्चों का इतनी दूर आने जाने के कारण अभिभावक भी कोरोनावायरस के डर से चिंतित है । क्योंकि प्रवासियों का गांवों में वापसी आना जारी है । ग्रामीण सरकार के रोष जता रहे हैं कि उत्तराखंड को अलग राज्य बने 20 वर्ष हो गए हैं मगर कई गांव अभी तक संचार आदि आवश्यक सेवाओं से वंचित हैं । उनका कहना है कि जब सरकार ने उनके गांवों में बीएसएनएल जैसी सरकारी संचार सुविधाओं की शुरूआत सुचारू रूप से नहीं की है तो ऑनलाइन पढ़ाई का निर्णय क्यों लिया ?
ग्रामीणों ने बताया कि दो वर्ष पहले यहां जियो कम्पनी द्वारा टावर लगा दिया था इस बीच जियो अधिकारियों ने इसकी सुध तक नहीं ली । 20 दिन पहले ही इस टावर पर रिसीवर लगने से गांव वालों में उम्मीद की लहर देखने को मिली मगर फिर वही ढाक के तीन पात । नैट न आने के कारण गांव वालों की उम्मीदों पर पानी फेर गया ।
विद्यार्थियों के भविष्य को ध्यान में रखते हुए समाजसेवी और पत्रकार आनन्द जोशी ने इसके लिए जियो कम्पनी के शीर्ष अधिकारियों के साथ साथ क्षेत्रीय विधायक महेश नेगी से भी बातचीत की है ताकि विद्यार्थियों की पढ़ाई में आ रही समस्याओं का शीघ्र समाधान हो । जोशी का कहना है कि अगर इसके लिए राज्य के मुख्यमंत्री तक भी जाना पड़ेगा तो वे पीछे नहीं हटेंगे ।