कपाट बंद होने से पूर्व बद्रीनाथ की पंच पूजा क्यों है खास? – अब देवर्षि नारद को पूजा की जिम्मेदारी।

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शीतकाल के लिए भू-वैकुंठ धाम श्री बदरीनाथ जी के कपाट बंद होने से पूर्व होनी वाली पंच पूजाएं आज से शुरू हो गईं। इसके तहत पहले दिन धाम में आज पूजा पाठ के बाद श्री गणेश मंदिर के कपाट बंद किए गए।

बद्रीनाथ से संजय कुंवर के साथ देहरादून से जितेंद्र पेटवाल की रिपोर्ट।

गौर तलब है कि बदरीनाथ धाम में कपाट बंद होने से पूर्व पंच पूजाओं का विशेष महत्व है। इसकी प्रक्रिया गणेश मंदिर के कपाट बंद करने के साथ आज से आरंभ हो चुकी है, धाम के मुख्य पुजारी रावल ईश्वरी प्रसाद नंबूदरी के सानिध्य में धर्माधिकारी भुवन चंद्र उनियाल व वेदपाठियों ने पूजा-अर्चना के बाद आज विधि विधान से गणेश मंदिर के कपाट शीतकाल के लिए बंद कर दिए। अब कल बृहस्पतिवार को दूसरी पूजा के तहत धाम में तप्त कुंड के निकट धूनी रमाये भगवान आद्य केदारेश्वर मंदिर के कपाट बंद किए जाएंगे।


15 नवंबर को खडग पुस्तक की पूजा होगी। खडग पुस्तक की पूजा का विधान लोक विरासत का हिस्सा भी है। 16नवंबर को मां लक्ष्मी का आह्वान किया जाएगा। इस दिन रावल भगवान की सखी का वेश धारण कर मां लक्ष्मी को भगवान नारायण के साथ गर्भगृह में आने का न्यौता देंगे। 17नवंबर को साँय 5बजकर 13मिनट पर विधि-विधान के साथ बदरीनाथ धाम के कपाट बंद किए जाएंगे। इससे पूर्व, भगवान नारायण के सखा उद्धव जी के विग्रह को भगवान के सानिध्य में गर्भगृह से बाहर लाया जाएगा और मां लक्ष्मी के विग्रह को भगवान के निकट विराजमान किया जाएगा।

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