कार्तिक दीवाली के ठीक एक महीने बाद उत्तराखंड के गढ़वाल में मंगसिर कई दीवाली मनाई जाती है जिसे बग्वाल कहा जाता है।
मान्यता है कि टिहरी राजशाही के सेनापति बीर भड़ माधो सिंह भंडारी दीवाली के समय तिबत युध्द में थे और एक महीने बाद जब वे विजयी होकर लौटे यो उनके स्वागत में लोगो ने दीवाली बग्वाल मनाई।
गिरीश गैरोला।
आधुनिक दौर में लुप्त हो गयी इस रिवाज और परंपरा को फिर से जीवित रखने के प्रयास में उत्तरकाशी के राम लीला मैदान में सामूहिक रूप से लोग बग्वाल मनाते है जिसमें पहाड़ी वेशभूषा पहाड़ी पकवान और पहाड़ी लोक गीत लोक नृत्य किये जाते है।